UPTET Invalid Result Latest News Today, 28 February 2020
UPTET 2019 टेट_इनवैलिड_मुद्दा
वास्तविकता_और_भ्रम
आप सभी को अवगत ही होगा कि विगत TET 2019 में हमारे कुछ साथी प्रशिक्षुओं के रिजल्ट को PNP द्वारा INVALID घोषित किया गया था वजह थी उक्त सभी प्रशिक्षुओं द्वारा भाषा चुनने के लिए OMR शीट में दिये गए Bubble (गोले) को ना रंगना या जिस क्रम (SERIES) की बुकलेट उन्हें मिली उसकी जगह किसी और क्रम को बुकलेट कोड में भर देना।
इस संदर्भ में सक्रिय टीम पूर्व में ही PNP सचिव जी से मिल चुकी है जिसमें उन्होंने साफ-साफ कहा था कि उक्त प्रकरण में अब कुछ नहीं होना है। यह प्रशिक्षुओं की गलती थी इसलिए उनका रिजल्ट #इनवैलिड हुआ है…PNP का इसमें कोई दोष नहीं है।
स्वयं PNP के सचिव जी द्वारा विभिन्न मुद्रित समाचार पत्रों में इस मुद्दे के सन्दर्भ में अपने आदेश की जानकारी प्रकाशित करायी जा चुकी है तथा अपने आदेश की एक प्रति PNP के गेट पर भी चस्पा की गई थी जिसको कुछ अराजक शरारती तत्वों द्वारा फाड़ दिया गया।
इसके उपरांत भी विगत कुछ दिनों से कई #डीएलएड_प्रशिक्षु परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय #PNP के प्रवेश द्वार पर #TET_Invalid_प्रकरण पर उक्त पीड़ित प्रशिक्षुओं को न्याय दिलाने के लिए #तथाकथित_आमरण_अनशन कर रहे।
अनशन करने में कोई बुराई नहीं है…और आमरण अनशन करने में तो काफी हिम्मत होनी चाहिए इस बात से भी कोई इंकार नहीं कर सकता।
परन्तु इस पूरे प्रकरण के दौरान आमरण अनशन करने वाले व्यक्तियों द्वारा मुख्य मुद्दा (जिसमें दावा किया गया था कि इनवैलिड रिजल्ट PNP की चूक है, जिसे PNP द्वारा सही करके सभी का रिजल्ट घोषित करवाया जाएगा)
वास्तविकता में कानूनन सही भी है या नही?
इसके लिए मैं इसी प्रकरण से संबंधित पूर्व में घटित हो चुके #अभ्यर्थी_PNP_और_न्यायालय की खींचतान को इस पोस्ट के माध्यम से स्पष्ट कर रही हूँ जो कि #OMR_को_गलत_या_खाली_भरे_जाने_के_कारण परीक्षा परिणाम ना जारी होने या फिर कहें #Invalid होने पर आधारित है। सभी बिंदुओं को ध्यान से पढ़कर स्वयं निर्णय कीजिये क्या उचित है और क्या अनुचित…
मामला है UPTET 2017 के इसी #OMR_गलत_या_खाली_भरने_का जिसमें WRIT- A No. 53945 of 2017 में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने कहा कि
“OMR शीट को सही ढंग से भरने की चूक एक मानवीय त्रुटि नहीं है, अपितु निर्देशों का पालन करने में याचिकाकर्ता की सतर्कता और आकस्मिक दृष्टिकोण की कमी को दर्शाता है। यह त्रुटि एक ऐसी प्रकृति की है जिसे #अधिकारियों_द्वारा_सही_करने_की_अनुमति_नहीं_दी_जा_सकती_है।”
उपरोक्त जजमेंट में एक quote भी किया गया जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा बेहद तल्ख टिप्पणी की गई जो निम्न है…👇
अगर भावी शिक्षक अपने रोजगार के लिए सरल ऑनलाइन आवेदन भी नहीं भर सकते….तो यह स्पष्ट है कि नियुक्त होने पर वह क्या पढ़ाने वाले हैं। इस मुद्दे पर कुछ निर्णय पूर्व में भी दिए गए हैं…लेकिन उनमें से कोई भी इस पहलू से सरोकार नहीं रखता है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत न्यायालय के विवेकाधीन अधिकार के तहत ऐसे अक्षम व्यक्तियों को अगली पीढ़ी के भविष्य के साथ खेलने की अनुमति दी जानी चाहिए।”
मामला है माननीय इलाहाबाद की डिविजन बेंच में SPLAD 117-2014 का जिसमें इसी प्रकरण पर #PNP_की_OMR_ना_चेक_करने_की_कार्यवाही को सही ठहराया गया और यही प्रकरण जब माननीय न्यायालय की डिवीजन बेंच में पहुँचा तो यहाँ पर भी #PNP को ही सही ठहराया गया #सिंगल_बेंच की तरह और याचिकाकर्ता की अपील खारिज हुई। और माननीय न्यायालय के कथन थे,
“OMR अभ्यर्थियों को इसलिए उपलब्ध कराई जाती है ताकि कंप्यूटर द्वारा मूल्यांकन को तीव्र गति से किया जा सके। अगर हम यह बात मान भी लें कि अभ्यर्थी ने जिस भाषा को आधार मानकर अपनी OMR शीट में प्रश्नों को हल किया था उसे जाँचकर्ता कंप्यूटर में मूल्यांकन करने से पहले स्वयं जाँच सकता है, फिर ऐसे में सारी परीक्षा परिणाम जारी करने की जो प्रक्रिया है उसमें बाधा उत्पन्न होगी। यह कहना, करना या निर्देशित करना मुमकिन नहीं है कि जब कंप्यूटर से OMR का मूल्यांकन होता है तो फिर अभ्यर्थी द्वारा छोड़े गए Column को जाँचकर्ता कंप्यूटर के बजाय पहले स्वयं ही जाँचे।”
इसी प्रकार UPTET 2014 में भी #OMR_गलत_भरने_के_प्रकरण पर माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के सिंगल बेंच की Service Single No. 7533-2017 के आदेश में माननीय न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अभ्यर्थियों को रजिस्ट्रेशन कराने से लेकर बुकलेट,ओएमआर शीट पर पर्याप्त रूप से दिशा निर्देश दिए गए थे।
उन निर्देशों में से कुछ का यहाँ उल्लेख किया गया है बाकी आप कोर्ट आर्डर में भी पढ़ सकते हैं 👇
“आपकी उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन इलेक्ट्रॉनिक स्कैनिंग प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा।आपके द्वारा भरी गई अपूर्ण या गलत प्रविष्टियों के कारण आपकी उत्तर पुस्तिका अमान्य घोषित होगी।
ओएमआर पर कोई भी प्रविष्टि करने से पहले सभी दिशा निर्देशों को भली भाँति पढ़ लें।
OMR शीट पर सबसे अंत में अभ्यर्थी द्वारा स्वयं हस्ताक्षर सहित यह सहमति दी जाती है कि उसकी पात्रता उक्त परीक्षा हेतु दिए गए तथ्यों तक ही सीमित है इसके उपरांत यदि कोई त्रुटि या भूल पाई जाती है तो उसका जिम्मेदार स्वयं अभ्यर्थी ही कहलाएगा।
इस प्रकार याचिकाकर्ता इस बात से बहुत अच्छी तरह अवगत था कि उसकी एक लापरवाही या चूक के क्या परिणाम होंगे। अतः याचिकाकर्ता स्वयं की चूक और लापरवाही का जिम्मेदार PNP को नहीं ठहरा सकता है।
अब कुछ अभ्यर्थी यह तर्क देते कि यह कक्ष निरीक्षक की #जिम्मेदारी थी कि वह सारी प्रविष्टियों को जाँचकर यह हस्ताक्षर करके पुष्टि करे कि अभ्यर्थी ने अपनी #OMR_Sheet सही सही भरी है।
ऐसे में UPTET 2014 के ही मामले में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के सिंगल बेंच की Service Single No. 7533-2017 के आदेश में यह भी कहा गया था कि…👇
“जब कक्ष निरीक्षक अभ्यर्थी की सारी प्रविष्टियां जाँच करने के उपरांत हस्ताक्षर करने को आता है जिसमें वह यह पुष्टि करता है कि “अभ्यर्थी द्वारा OMR में भरी गई सारी प्रविष्टियां मिलान कर ली गई है और सही पाई गई है” ऐसे में यह कक्ष निरीक्षक की जवाबदेही बनती है कि अभ्यर्थी ने अपनी OMR सही सही भरी है या नहीं… लेकिन इस स्थिति में यह भी हो सकता है कि जिस तरह से अभ्यर्थी ने अपनी OMR में इस गलती पर ध्यान नहीं दिया उसी तरह कक्ष निरीक्षक का ध्यान भी इस गलती पर ना जा पाया हो।
लेकिन अभ्यर्थी को उपलब्ध कराए गई OMR पर अंकित दिशा निर्देश और अन्य सभी दिशा-निर्देश जो कक्षा में प्रश्न पत्र पर भी दिए गए हैं उसे भी नकारा नहीं जा सकता। यहाँ यह भी हो सकता है कि OMR की सिर्फ एक गलती के इतर और भी कई सारे अभ्यर्थियों ने कुछ ना कुछ प्रविष्टियों को छोड़ दिया हो जोकि इस परिस्थिति से बिल्कुल अलग हो फिर ऐसी स्थिति में इतनी ज्यादा संख्या में प्रत्येक अभ्यर्थी के गलत प्रविष्टियों को ध्यान में रखते हुए मूल्यांकन करना संभव नहीं है।”
इसी तरह याचिकाकर्ता की यह अपील भी खारिज हुई। दोनों आदेशों में माननीय कोर्ट ने ऐसे अभ्यर्थियों को कोई राहत ना देते हुए PNP को सही ठहराया था।
दरअसल दोनों कोर्ट ऑर्डर को बड़ी चालाकी से छिपा कर उन व्यक्तियों द्वारा अभ्यर्थियों को शुरू से ही धोखे में रखा जा रहा था जो यह कह रहे थे कि हम इस मुद्दे पर बहुत संघर्ष कर रहे हैं और #इनवैलिड_को_वैलिड करा कर ही मानेंगे।
उन्हें यह बात समझनी चाहिए थी कि सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी यह बात पहले ही कई जगह स्पष्ट कर चुके हैं कि अब इस #Invalid प्रकरण पर कुछ नहीं हो सकता है। यह चाहते तो न्यायालय की शरण भी ले सकते थे मगर इन्हें पता था कि न्यायालय में इनका क्या हाल होने वाला है इसलिए न्यायालय जाने की बात इन्होंने एक बार भी नही कही। हालांकि कुछ दिनों से अखबारों में छोटी सी कटिंग के सहारे सुर्खियों में आने का यह अच्छा तरीका साबित हो रहा है पर कुछ दिनों की राजनीति के सिवाय अब आपको इससे कुछ हासिल नहीं होगा।
इसलिए मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि अपनी ये बच्चों जैसी हठ को छोड़िये और प्रशिक्षुओं को गुमराह करना बंद करिए। अपनी ऊर्जा और संसाधनों का सही और सटीक दिशा में उपयोग कीजिये जिससे 17 बैच को जल्द ही प्राथमिक में सेवा देने का अवसर मिले।
नोट: पोस्ट में जिस जिस कोर्ट ऑर्डर का उल्लेख किया गया है उसके स्क्रीनशॉट साथ मे संलग्न है जिससे आप स्वयं पढ़ के निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं।